darbar shayari gujarati | शायरी की दुनिया में दरबार शायरी का अपना ही एक अलग मुकाम है। यह शायरी दरबारों में राजाओं, महाराजाओं और उनके दरबारियों के बीच बोली जाती थी। इस शायरी में अक्सर प्रेम, वीरता और शौर्य का गुणगान किया जाता है। गुजराती भाषा में भी दरबार शायरी की एक समृद्ध परंपरा है। गुजराती दरबार शायरी में प्रेम, सौंदर्य और जीवन के विभिन्न पहलुओं को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। इस शायरी की खास बात यह है कि इसमें सरल भाषा और बिंबों का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह आम जनता के लिए भी समझ में आसान हो जाती है।
darbar shayari gujarati
दरबार में बैठा हूँ, ख्वाबों का सल्तनती,
राजा हूँ अपने ख्वाबों के दरबारी।
दरबार की रातों में, हर बात है अद्भुत,
ताजगी से रंगी हर बात है खास।
दरबार की मिठास में, छुपा है एक राज,
ख्वाबों का संसार, हर रोज़ नया राज।
दरबार की महफ़िल में, बैठे हैं सभी यार,
हर राजा है यहाँ, ख्वाबों का दुल्हार।
दरबार का रंग है, ख्वाबों का उजाला,
हर ख्वाब में छुपा, एक नया सफ़र।
दरबार की आसमानी चादर में,
हर सितारा है, एक ख्वाब का दुल्हा।
दरबार की महक में, छुपा है प्यार,
हर राजा बन जाता है, ख्वाबों का बहुत प्यार।
दरबार की हवा में, बसी है खुशियाँ,
हर मुसीबत से है, ख्वाबों का जौहर।
Darbar shayari gujarati attitude
वह मिले भी तोह फ़क़त खुदा के दरबार में .
अब तुम ही बताओ इबादत करते या मोहब्बत .
दरबार की शान में, राजा बन बैठा हूँ,
अपनी बातों में हूँ, रुलाने का मज़ा हूँ।
अदालत-ए-इश्क में, खुदा बन कर बैठा हूँ,
अपनी मोहब्बत में, दुनिया को भूला हूँ।
शेरों का सरदार हूँ, दरबार में हकदार हूँ,
अपने अंदर का बादशाह, दुनिया को सिखा रहा हूँ।
आइना हूँ खुद का, खुद से ये कहता हूँ,
दरबार में बैठा हूँ, ताकद में बढ़ता हूँ।